सरसो के तेल की दुःखद कहानी,जिसने मेरी सोच को बदल दिया

सरसो के तेल की दुःखद कहानी,जिसने मेरी सोच को बदल दिया

सन 2018 के पूज्य गुरुदेव मुनि श्री प्रणम्य सागर जी के रोहिणी चातुर्मास के बाद कि बात है।दिसंबर माह में गुरूदेव मॉडल टाउन मंदिर में विराजमान थे।सर्दियों में सरसो के तेल से व्ययावर्त्ति करने से गर्माहट रहती है।कृष्णा नगर,दिल्ली के निकट ही एक प्रसिद्ध कोहलू वाला था जिससे अधिकांशतः सभी पीली सरसो,बादाम,गोले आदि का तेल लेते थे।अधिक बिक्री होने से ओर ग्राहकों की भीड़ रहने से सभी का उसपर विश्वास जमा हुआ था।अतः शुद्ध तेल निकलवाने की भावना से उसे अधिक मूल्य देकर सरसों को अच्छे से छान कर , कुए के प्रासुक जल से सरसो साफ करके उससे तेल निकलवाने की मेरी बात हो गयी थी।

वरना तो जो आप निकट के कोहलू अथवा किसी तीर्थ स्थान जैसे तिजारा आदि जाकर वहां के कोहलू से तेल लाते हैं ऐसे प्रायः सभी कोहलू पर सरसों ऐसे ही बिखरी रहती है,उसमे कीट, पतंगे आते रहते है,रात में भी वह सरसो ऐसे ही खुली पड़ी रहती है ,उसी पर वह कारीगर पैर रखकर चलते है , लघु शंका आदि जाने पर भी बिना हाथ पैर धोए कार्य होता है ,बिना धुली ,बिना साफ की हुई सरसो कोहलू में ऐसे ही पेल दी जाती थी,जिसमे अनगिनत सूक्ष्म जीव रहने की संभावना होती थी, एक बार निकली खल को 2 से 3 बार पेला जाता है जिससे उसका सब सत्व ही खराब नही होता अपितु वह स्वास्थ्य के लिए भी प्रतिकूल ही होती है ।इतना ही नही उनका वह फिल्टर महीनों तक धोया भी नही जाता जिसमे बिल्कुल गन्दा ओर काला गन्दा ओर सड़ा हुआ तेल जमा रहता है।ओर उस समय मुझे cold pressed oil के फायदों की भी अधिक जानकारी नही थी।क्योंकि कोहलू के तेल Hot pressed होता है जिसमे सरसो का बीज तेज temperature पर heat करके सरसो पेली जाती है जिससे उसके सभी पोषक तत्व नष्ट ही हो जाते हैं और हमे मिलती है मात्र चिकनाई


अधिक मूल्य पर अपनी शर्तों पर शुद्धि के साथ धुले वस्रों में कुए के जल से तेल निकलवाने की बात होने के पश्चात मैं कुए का जल प्रासुक करके वहां ले गया सभी कार्य मेरे अनुरूप हो गया।सरसो को मेरे अनुरूप शुद्ध करके,फिल्टर को भली प्रकार साफ करके सरसों को पेला गया। मैंने सरसो एक बार ही पिलवाई थी ,खल नही पिलवाई ,अतः मूल्य भी बहुत अधिक ही देना पड़ा था ,क्योंकि मैं भी समझ रहा था कि इससे उसकी लागत बढ़ जाएगी।1-1 लीटर की बोतल में तेल भरवाकर करीब 50 लीटर तेल मैं
घर ले आया। जब एक बोतल मैं ब्रह्मचारी D.C jain भैया जी को देकर आया और उन्होंने मुनिश्री को बताया कि तेल किस प्रकार निकाला गया है,मुनि श्री ने तेल को अपनी अंगुली पर लेकर थोड़ा रगड़ा ओर तुरन्त बोला, तेल नक़ली है। सुनकर मैं जैसे बिल्कुल स्तब्ध से रह गया।मैंने कहा ," गुरूदेव अपने सामने बहुत अच्छे से तेल निकलवाया है ,परन्तु गुरूदेव की पारखी नजर ने न जाने क्या देख लिया था। मैं बहुत आश्चर्य में मायूस सा घर आ गया।परन्तु विश्वास अभी भी नही हो रहा था क्योंकि तेल अपने सामने अच्छे से निकलवाया था।


जब कुछ दिन बीत गए।तो मैं देखकर आश्चर्य में रह गया ,गुरूदेव की बात शत प्रतिशत सत्य थी।सभी bottles में रखा तेल ऊपर से जम गया था।दिसंबर की सर्दी थी।लेकिन तेल के जमने का क्या अर्थ।

जब पहली बार कड़ाई पर पकाने के लिए चढ़ाया था तब भी उसमे से झल ओर बाद में पूरी बनाते समय झाग आ गया था।पहले तो यही पता था कि सरसो के तेल को पहले पकाना पड़ता है और झल भी आना स्वाभाविक है ,बल्कि यों कहिए कि झल आना असली तेल की निशानी है।परन्तु सभी धारणायें मिथ्या सिद्ध हुई।


पापा ने घर पे बताया कि यह तेल जमने का अर्थ है कि इसमें एक ऐसे बीज का तेल मिला हुआ है जो सरसो जैसा ही दिखता है ,तेल को सस्ता करने के लिए उसकी मिलावट की जाती है। मेरे सामने सामने उस कोहलू वाले ने उसमे वह बीज का एक बोरा मिक्स कर दिया और मुझे पता भी नही चला।ऐसे में उन लोगो का क्या जो ऐसे अपने किसी भी विश्वसनीय कोहलू से तेल लेकर आते है और खुश होते हैं कि हम तो पीने सामने निकलवाकर लाते है और वो भी इतना सस्ता । पापा ने बताया कि झल तो काली सरसो के तेल में आती है या मिलावट
वाले तेल में ,पीली सरसो के तेल में नहीं और इतना ज्यादा झाग भी ऐसे काली सरसो या मिलावटी तेल में ही आता है।इतना ही नही पीली सरसों के तेल को पकाने की भी आवश्यकता नही होती इस्तेमाल से पहले।


इतना सब देख कर ,सुनकर मन बहुत दुखी हुआ।जिसपर लोग इतना विश्वास करके तेल लाते हैं ,वही मिलावट कर रहा है ।

आज हम सबकी परिस्तिथि भी ऐसी ही है।सस्ते के लालच में हम न तो यह देखते की वह तेल कैसे निकल रहा है,वहां कितनी गंदगी रहती है जो सब हमारे पेट मे जाती है ।कोहलू का तेल स्वास्थ्य को भी नुकसान देता है उसका कारण मैं ऊपर पहले ही बता चुका हूं।

अब प्रश्नः उठता है कि हम आखिर चाहते क्या हैं सस्ता खाना या अच्छा खाना। सस्ता खाओ ओर बाकी के पैसे जिंदगी भर डॉक्टर को अथवा अच्छा खाओ ओर निरोगी रहकर अपने परिवार को भी खुश रखो।

ये तो मात्र सरसो के तेल की दुःखद कहानी है।

इसीलिए आपकी रसोई के एक एक सामान को इक्खुरस शुद्ध बनाना चाहता है ,सात्विक बनाना चाहता है।इक्खुरस के रूप में आपके अपने बच्चो के द्वारा ही यदि एक ऐसा प्रयास करने की कोशिश की गयी हो जहां प्रामाणिक रूप से आपको वह उच्च कोटि की शुद्धता के साथ खाद्य सामग्री मिल सकती हो तो क्यों न इस मुहिम में उनका साथ दिया जाए।क्यों न शुद्ध खाएं और शुद्ध खिलाये।क्यो न अच्छे स्वास्थ्य ,अच्छे मन और अच्छे मस्तिष्क के साथ जीवन यापन करें।

निर्णय आपका है - अच्छा खाना है या सस्ता खाना है।

सस्ता + रोग
अच्छा + निरोग

Pakage आपको ही चुनना है।
Back to blog

Contact form

Fast shipping
Order today, receive tomorrow
Price-match guarantee
Safe money when ordering with us
Natural Process
Each item is prepared naturally with maximum care
5.0 Google Reviews
Customer satisfaction #1 priority